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मां लेहड़ा मंदिर ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व !

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मां लेहड़ा मंदिर ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व !

उत्तर प्रदेश : महाराजगंज (फरेंदा)
05 अप्रैल 2022 : उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में वैसे तो तमाम देवी स्थान हैं लेकिन मां लेहड़ा देवी मंदिर का ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है । महाभारत काल में पांडवों ने इस क्षेत्र में वक्त गुजारा था । इतिहास के पन्नों में दर्ज इस मंदिर की पूरी कहानी में बहुत सारे रोचक तथ्य हैं, जिन्हें जानने को हर कोई उत्सुक रहता है ।
अरदौना में लेहड़ा देवी का मंदिर है । यह फरेंदा शहर से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर है । पुराने समय में यह स्थान आर्द्र वन नाम के सघन जंगल से घिरा हुआ था । पवह नदी के तट पर मां वनदेवी दुर्गा का मंदिर है । मान्यता है कि अरदौना देवी के मंदिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास काल में स्वयं अर्जुन ने की थी ।

प्राचीन समय में इस मंदिर को अरदौना देवी स्थान के नाम से जाना जाता था । लेकिन बाद में इस मंदिर का नाम लेहड़ा देवी मंदिर रखा दिया गया । वर्तमान समय में यह मंदिर लेहड़ा देवी मंदिर के नाम से ही जाना जाता है । अज्ञातवास काल के दौरान अर्जुन ने इस जगह पर वनदेवी की पूजा की थी । अर्जुन की पूजा से प्रसन्न होकर वनदेवी मां भगवती दुर्गा ने उसे अमोघ शक्तियां प्रदान की थीं ।

वनदेवी मां ने युवती की रक्षा की !
पांडवों के अज्ञातवास के दौरान मां भगवती के आदेशानुसार अर्जुन ने इस जगह पर शक्ति पीठ की स्थापना की थी । बाद में यहीं अदरौना देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई । मान्यता है कि एक बार कोई युवती नाव से पवह नदी पार कर रही थी । तब उस युवती को देखकर नाविक की नियत खराब हो गई । उस समय वनदेवी मां ने स्वयं प्रकट होकर उस युवती की रक्षा की थी । नाविकों को नाव के साथ ही उसी समय जल समाधि दे दी थी ।

बाबा वंशीधर एक सिद्ध योगी थे !
अरदौना मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक प्राचीन तपस्थली है । इस जगह पर कई साधु-संतों की समाधियां हैं । इन्हीं साधु योगियों में एक प्रसिद्ध बाबा वंशीधर थे । बाबा वंशीधर एक सिद्ध योगी के रूप में प्रसिद्ध रहे । वह अपने योग बल से कई चमत्कार और लोक-कल्याण के कार्य किए थे । बाबा की शक्ति और भक्ति से कई वन्य जीव जन्तु उनकी आज्ञा को मानने के लिए तैयार हो जाते थे । माना जाता है कि एक बार बाबा वंशीधर ने अपनी शक्तियों से एक शेर और मगरमच्छ को शाकाहारी जीव बना दिया था ।
गोरखपुर मण्डल प्रभारी अफ़रोज़ अहमद की रिपोर्ट

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