चैत की गर्मी और लू में खाक हो जाते हैं सैकड़ों बीघा गेहूं की फसल ! प्रशासन सुप्त !
उत्तर प्रदेश : बिजनौर
07 अप्रैल 2022 : अफजलगढ़ चैत मास की लू की लपटे चलते ही किसानों को खेतों में लहराते गेहूं की फसलों के नुकसान की आशंका सताने लगती है । फायर स्टेशन ना होने से समस्या दशकों से जस की तस बनी हुई है, किसानों का आरोप है कि वह जन प्रतिनिधियों व हुक्मरानों से लंबे समय से अफजलगढ़ विकासखंड में फायर स्टेशन स्थापित करने की मांग करते चले आ रहे हैं, लेकिन ना तो जन प्रतिनिधियों को किसान की समस्या सरोकार है ना ही हुक्मरानों ने किसानों की समस्या के निदान की अमलीजामा पहनाने की कोशिश की, गर्मी के मौसम में किसान बमुश्किल अपनी गेहूं फसलों को घर लेकर पहुंचते हैं इसके बावजूद बिजली के चिंगारी से सैकड़ों बीघा गेहूं की फसल हर साल सूख जाती है, किसानों ने शासन प्रशासन से समस्या के समाधान की मांग की है, ताकि हर साल होने वाले नुकसान से बचा जा सके ।
अफजलगढ़ विकासखंड की भूमि धान व गेहूं की पैदावार के लिए सबसे मुफीद है, किसान हर वर्ष हजारों हेक्टेयर भूमि में गेहूं व धान की पैदावार करते हैं बता दें कि जनपद की गेहूं खरीद का लाभ भी अफजलगढ़ ब्लॉक पर निर्भर करता है जनपद में सबसे ज्यादा गेहूं व धान की खरीद अफजलगढ़ ब्लॉक में होती है, बावजूद इसके ब्लॉक क्षेत्र के किसान लंबे समय से फसलों की आगजनी की समस्या से जूझ रहे हैं ।
प्रशासन ने ब्लॉक खंड के किसानों की समस्या की सुध लेना गवारा नहीं किया प्रतिनिधियों ने भी किसानों की समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं समझे इसी का नतीजा है कि विकासखंड में फायर स्टेशन ना होने की वजह से हर वर्ष सैकड़ों बीघा गेहूं व धान की फसल आग की चपेट में आ जाते हैं, किसानों की छह माह की कमाई खेतों में राख का ढ़ेर बन जाती है अक्सर चैत माह में चलने वाली तेज लू में छोटी सी आग की चिंगारी सैकड़ों बीघा की फसलों को अपने चपेट में ले कर स्वाहा कर देती है कई बार बिजली के तारों में आपस में घर्षण होने की वजह से भी किसानों के खेतों में आग की लपटें उठने लगती है तेज हवा के बीच लगते इतनी भयानक होती हैं कि कोई भी आग के पास जाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता किसानों की आंखों के सामने देखते ही देखते फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी होती है किसान चाह कर भी आग पर काबू नहीं पा पाता फसलों के अलावा भी हर साल पशुपालकों कि पशु शालाओ में आग लग जाती है हर साल सैकड़ों पशु आग की चपेट में आने से काल के गाल में समा जाते हैं जरूरत पड़ने पर दमकल टीम को धामपुर सूचना देनी पड़ती है ।
विकासखंड से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित फायर स्टेशन जब तक टीम मौके पर पहुंचती है तब तक नजारा ही बदल जाता है फायर स्टेशन में होने का खामियाजा सबसे ज्यादा किसानों को भुगतना पड़ता है फसलों व पशुओं के आग की चपेट में आने से किसान हर साल कर्जदार होता जा रहा है बावजूद इसके सरकारों ने विकासखंड की जनता को केवल वोटों के लिए इस्तेमाल किया जनता के कई बार मांग करने पर भी जनप्रतिनिधियों व शासन प्रशासन ने उनकी समस्याओं से कभी सरोकार समझा ही नहीं ।
मण्डल ब्यूरो चीफ मुरादाबाद मुकेश कुमार की रिपोर्ट