सीधी अर्धनग्न पत्रकार फ़ोटो मामले में DGP और IG को जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने जारी किया नोटिस ! रिपोर्ट आने पर तत्काल करेंगे कार्यवाही कहा मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने !
सीधी अर्धनग्न पत्रकार फ़ोटो मामले में DGP और IG को जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने जारी किया नोटिस !
रिपोर्ट आने पर तत्काल करेंगे कार्यवाही कहा मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने !
मध्य प्रदेश : रीवा
10 अप्रैल 2022 : सूचना के अधिकार कानून 2005 और मानवाधिकार संरक्षण कानून को लेकर 94वां राष्ट्रीय RTI वेबीनार का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन सम्मिलित हुए जबकि अन्य विशिष्ट अतिथियों में कार्यक्रम अध्यक्ष मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह, उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त उप्रेती, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, फोरम फ़ॉर फास्ट जस्टिस होनोरेरी ट्रस्टी प्रवीण पटेल और फेडरेशन फॉर सोसाइटी फ़ॉर फ़ास्ट जस्टिस के अध्यक्ष राज कचरू सम्मिलित रहे ।
सीधी में पत्रकारों के साथ पुलिस बर्बरता और अर्धनग्न तस्वीर वायरल किया जाना मानवाधिकार का हनन – जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन
कार्यक्रम में फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल और फेडरेशन फॉर सोसायटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस के अध्यक्ष राज कचरू के प्रश्नों का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि चाहे कोई भी व्यक्ति हो उससे पूछताछ की जा सकती है और जानकारी ली जा सकती है लेकिन किसी भी थाने में उसे बुलाकर उसकी नग्न या अर्धनग्न तस्वीर ले जाकर मीडिया और इंटरनेट में वायरल करना मानवाधिकार का सीधा हनन है । उनके द्धारा बताया गया कि इस मामले में जैसे ही प्रकरण उनके संज्ञान में आया तो उनके PRO के द्धारा सभी समाचार पत्रों से मामला संकलित करने के बाद तत्काल मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक को तलब किया गया और DGP मध्य प्रदेश एवं IG रीवा के नाम नोटिस तलब की गई है जिसमें तत्काल प्रतिवेदन मांगा गया है । जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन द्धारा बताया गया कि मामले में संज्ञान लेते हुए नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी और जो भी दोषी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा और निश्चित तौर पर दृढ़ कार्यवाही की जाएगी ।
अन्य मामलों के विषय में मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि जो मामले उनके जूरिडिक्शन में है उन पर वह त्वरित कार्यवाही करते हैं । उन्होंने मानवाधिकार आयोग के कार्य को आगे बढ़ाते हुए “आयोग आपके द्धार” नामक एक योजना प्रारंभ की जिसमें प्रतिमाह कुछ जिलों को सिलेक्ट कर वहां पर जाते हैं और मानवाधिकार आयोग से संबंधित पेंडिंग मामलों को निपटाने हैं । इससे फायदा यह हुआ है कि अधिकारी मामले पर तत्परता से कार्यवाही करते हैं और लोगों को न्याय मिल रहा है ।
न्याय तक आम आदमी की पहुंच उसका मूलभूत अधिकार
कार्यक्रम में फेडरेशन फॉर सोसाइटी फॉर फ़ास्ट जस्टिस के अध्यक्ष राज कचरू ने बताया की डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के द्धारा 15100 नामक हेल्पलाइन जारी की गई है जिसमें पीड़ित व्यक्ति कॉल करके लीगल सर्विस की डिमांड कर सकता है ।
लेकिन पूरे देश में हाल यह हैं कि यह लीगल सर्विस नंबर काम नहीं कर रहा है जबकि कागजों में इसके लिए विधिवत बजट जारी किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि कैदियों के लिए भी इस व्यवस्था का उपयोग किया जाना चाहिए और सभी कैदिखाना में फोन होना चाहिए जिसमें 15100 हेल्पलाइन नंबर का उपयोग करते हुए लीगल सर्विस की मांग पर उन्हें तुरंत मुहैया कराया जाना चाहिए । इस विषय पर मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि उन्होंने कई जिलों का भ्रमण किया है और उन्होंने पाया है कि कई जिलों में तो कई इस प्रकार से फोन सर्विस उपलब्ध है जहां पर कैदी अपने परिजनों और अन्य जगह पर बात कर सकते हैं ।
हालांकि राज कचरू ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी का नंबर 15100 अलग ही नंबर है जिसमें मात्र लीगल सर्विस मुहैया कराने के लिए व्यवस्था बनाई गई है ।
अतः व्यवस्था पूरे देश में सुचारू की जानी चाहिए । जिसके विषय में मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री जैन ने कहा कि इस विषय पर बैठकर चर्चा की जा सकती है और एक मामला मानवाधिकार के हनन से संबंधित है तो निश्चित तौर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है ।
पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने RTI से जुड़े प्रश्नों के दिए जवाब
इस बीच कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अजय उपरेती ने RTI से जुड़े हुए प्रश्नों के जवाब दिए । अजय उप्रेती ने बताया कि पुलिस की केस डायरी से संबंधित आदेश उत्तर प्रदेश के किन्ही राज्य सूचना आयुक्त के द्धारा पूर्व में किया जा चुका है । यह उस प्रश्न का जवाब था जिसमें एक आवेदक के द्धारा पुलिस केस डायरी से संबंधित जानकारी मांगी गई थी कि क्या यह RTI कानून के तहत देय है अथवा नहीं ।
इसके बाद मध्य प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने दर्जनभर प्रतिभागियों के प्रश्नों के जवाब दिए । प्रतिभागियों के द्धारा पूछे गए प्रश्नों में नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करना, पुलिस से संबंधित केस डायरी प्राप्त करना, परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका प्राप्त करना जैसे कई महत्वपूर्ण प्रश्न सम्मिलित थे ।
पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने यह भी कहा कि इनमें से काफी दस्तावेज तो परीक्षाओं का संचालन करने वाली NGO’s के माध्यम से मार्कशीट के तौर पर इंटरनेट में भी रख दिए जाते हैं कि प्री एग्जाम में कितने मार्क्स मिले अथवा मेन एग्जाम में कितने मार्क्स मिले और फिर इंटरव्यू में कितने मार्क्स मिले आज जानकारी जिसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि यदि लोक सूचना अधिकारी ऐसी जानकारियां न दें तो उसकी अपील सूचना आयोग में करनी चाहिए । निश्चित तौर पर सूचना आयोग में मामला पहुंचते ही न्यायोचित निर्णय दिए जाने की उम्मीद की जा सकती है ।
देश में सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली पर आवेदकों ने खड़े किए प्रश्न और कहा उन्हें जानकारी नहीं मिल पा रही
प्रतिभागियों ने पूरे देश के सूचना आयोगों में धीमी और ठप्प पड़ी कार्यप्रणाली को लेकर काफी चिंता जाहिर की और आलोचना भी की । प्रतिभागियों ने मांग की कि सूचना आयोगों को आवेदकों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें बार-बार पेशी दर पेशी किया जा कर परेशान नहीं करना चाहिए । क्योंकि जहां लोक सूचना अधिकारी और पब्लिक अथॉरिटी सरकारी खर्च से पेशी में जाते हैं वहीं जो गरीब आमजन आवेदक होते हैं वह अपने जेब के पैसे से आयोग के चक्कर लगाते हैं ।
इस विषय में इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक आदेश भी चर्चा में आया जिसमें कोर्ट के द्धारा यह कहा गया था कि सूचना आयोग कोई कोर्ट नहीं है जो मामलों की बार-बार पेशी करवाएं । लेकिन आवेदकों के द्धारा यह भी कहा गया कि सूचना आयोग हाईकोर्ट के इस आदेश की पालना नहीं कर रहे हैं जिसके बाद यह सुझाव दिया गया कि जो आयोग बार-बार पेशी करवाते हैं और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे हैं उनके विरुद्ध हाईकोर्ट में ही वापस जाना चाहिए और याचिका दायर करनी चाहिए ।
इस प्रकार कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से सहभागी, RTI आवेदक, उपयोगकर्ताओं और RTI कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और अपनी – अपनी समस्याएं रखी जिस पर उपस्थित सूचना आयुक्तों और विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला और समाधान किया ।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्धिवेदी द्धारा किया गया । कार्यक्रम सहयोगीयों में हाई कोर्ट अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल और वरिष्ठ पत्रिका पत्रकार मृगेंद्र सिंह सम्मिलित रहे ।