जिले में सिर्फ कर्मचारियों का ही अटैचमेंट नहीं बल्कि अधिकारियों के प्राइवेट गाड़ियों के अटैचमेंट का खेल है जबरदस्त !
जिले में सिर्फ कर्मचारियों का ही अटैचमेंट नहीं बल्कि अधिकारियों के प्राइवेट गाड़ियों के अटैचमेंट का खेल है जबरदस्त !
उत्तर प्रदेश : सोनभद्र
18 अप्रैल 2022 : जिले की जिती जागती तस्वीर
जिले में अटैचमेंट के खेल ने पूरे जनपद के माहौल को बिगाड़ कर रख दिया है । अभी तक शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के अटैचमेंट का खेल उजागर हुआ है लेकिन आज हम आपको एक और खेल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे ।
जनपद में अभी भी ऐसे तमाम विभाग हैं जिन विभागों के पास खुद की गाड़ी नहीं है और वह विभाग बाहर से गाड़ी लेकर विभाग में अटैच कराया है ।
अब गड़ियों के इसी अटैचमेंट के खेल को यदि समझने लगेंगे तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस खेल में ज्यादातर सरकारी कर्मचारी या फिर उनके रिश्तेदार लगे हुए हैं ।
सूत्रों की माने तो विभाग में लगने वाले प्राइवेट गड़ियों के अटैचमेंट के खेल में अच्छे-अच्छे कर्मचारी शामिल हैं । बताया जा रहा है कि कई सरकारी कर्मचारी अपने रिश्तेदारों के नाम गाड़ी फाइनेंस कर विभाग में लगा दिए हैं और उसकी पूरी मॉनिटरिंग कर्मचारी स्वयं करते हैं ।
सवाल यह नहीं कि कर्मचारी विभाग में गाड़ी क्यों लगा दिया । बल्कि गाड़ी विभाग में लगते ही उस कर्मचारी का पूरा फोकस अब गाड़ी की देखरेख पर रहने लगता है। गाड़ी कब कहाँ जा रही है, गाड़ी का सर्विसिंग भी कराना है गाड़ी कही पकड़ा गई आदि तमाम कामों में उसका ध्यान बंटने लगता है । इतना ही नहीं जनाब जब धंधे में उतर ही गए तो इस बात का पता लगाने में लग जाते हैं कि किस विभाग में गाड़ी लगनी है और उसका पैकेज रेट क्या है ।
कुल मिलाकर इन दिनों जिस तरह से सरकारी विभागों में प्राइवेट गाड़ियां लगाई जा रही हैं उससे जितना पैसा सरकार का हर महीने खर्च हो रहा है उतने कम पैसों में सरकार चाहे तो खुद गाड़ी खरीदकर क़िस्त विभागाध्यक्ष से जमा करवा सकती है ।
इससे न सिर्फ सभी विभाग के पास एक मॉडल की गाड़ी हो जाएंगी बल्कि खुद की गाड़ी हो जाएगी । और हर महीने खर्च हो रहे धन की बचत भी होता रहेगा।
नगर ब्यूरो चीफ ओबरा राजू जायसवाल की रिपोर्ट