माँगे KYC दस्तावेज़ ! मृतक को ही बना डाला तीसरा पक्ष ! आर्यावर्त बैंक के कर्मचारी कर रहे है RTI कानून का उल्लंघन !
माँगे KYC दस्तावेज़ ! मृतक को ही बना डाला तीसरा पक्ष ! आर्यावर्त बैंक के कर्मचारी कर रहे है RTI कानून का उल्लंघन !
उत्तर प्रदेश : लखनऊ
17 जून 2022 : आर्यावर्त बैंक में नहीं हो रहा है सूचना के कानून का पालन ! RTI आवेदक सूचनाएं पाने के लिए लगा रहे है सूचना आयोग तक चक्कर !
आर्यावर्त बैंक का एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमे सूचनाधिकार कानून की मनमाफिक व्याख्या कर सूचना आवेदनकर्ता को बैंक कर्मियों ने हठधर्मिता से सूचनाएं नहीं दी ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सूचनाधिकार कार्यकर्ता नीरज माथुर ने आर्यावर्त बैंक, शाखा – आगरा रोड, अलीगढ़ में एक RTI लगायी थी, जिसमे आर्यावर्त बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक ने एक मृतक को ही तीसरा पक्ष बनाकर सूचना देने से इंकार कर दिया ।
सूचना प्राप्त न होने पर आवेदक नीरज माथुर ने सूचना प्राप्त करने के लिए आर्यावर्त बैंक के प्रधान कार्यालय में प्रथम अपील दाखिल की ।
परन्तु आर्यावर्त बैंक के महाप्रबंधक एवं अपीलीय अधिकारी ने सूचना देना तो दूर उल्टा RTI Act का उल्लंघन करते हुए, सूचना आवेदक नीरज माथुर से ही उनके KYC दस्तावेज की स्वप्रमाणित छायाप्रति माँग ली ! जो यह दर्शाता है कि आर्यावर्त बैंक के कर्मचारियों को RTI कानून की कतई ज्ञान नहीं है और वह सूचना आवेदक का सूचनाएं न देकर उत्पीड़न करते है !
इस सम्बन्ध में “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण संरक्षण संगठन” की संस्थापक सुश्री आस्था माथुर जी ने आर्यावर्त बैंक के चैयरमेन को पत्र लिख कड़ा विरोध दर्ज कराया है ।
सुश्री आस्था माथुर जी ने कहा मनमानी व्याख्याओं ने सूचनाधिकार कानून को कमज़ोर । RTI कानून से अब कर्मचारी भयभीत नहीं है । RTI आवेदन द्धारा माँगी गयी सूचनाएं प्रदान करने से ज्यादा CPIO सूचनाएं न देने में रूचि रखते है । अकर्मण्य अधिकारियो से जहाँ सूचना के अधिकार का ह्रास हो रहा है, वहीँ इससे सूचना आवेदक का आर्थिक, मानसिक उत्पीड़न हो रहा है एवं RTI कानून से उनका विश्वास क्षीण होता जा रहा है ।
सुश्री आस्था माथुर जी ने कहा की RTI Act, 2005 के अनुसार “CPIO केवल धारा 08 और 09 के तहत ही सूचना से इंकार कर सकता है, पहचान का दस्तावेज नहीं होने पर सूचना देने से इंकार करना सूचना का अधिकार, RTI कानून के तहत दिये गये अधिकार का बड़ा उल्लंघन है ।”
संविधान का अनुच्छेद 19 जहां सूचना की गारण्टी देता है, वहीँ आवेदक को सूचना न दिया जाना संविधान प्रदत्त अधिकारों पर कुठाराघात है ।
जानकारी के लिए बताते चले कि सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु, केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा दिए गए (भामबरकर बनाम CPIO डी के गुप्ता, आवासीय एवं शहरी विकास निगम हुडको) निर्णय भी पूर्व में आया था, जिसमे उन्होंने CPIO पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाते हुए स्पष्ट आदेश दिया कि – “”पहचान का दस्तावेज नहीं होने पर सूचना देने से इंकार करना सूचना का अधिकार के तहत दिये गये अधिकार का बड़ा उल्लंघन है ।”
आर्यावर्त बैंक के महाप्रबन्धक / क्षेत्रीय प्रबंधक माननीय सुप्रीम कोर्ट की भी न्यायिक अवमानना कर रहे है माननीय सुप्रीम कोर्ट ने “”रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया बनाम जयंतिलाल एन मिस्त्री”” में यह स्पष्ट निर्णय दिया कि “”बैंक की जानकारी RTI से बाहर नहीं हैं ।””
सूचनाधिकार कार्यकर्ता नीरज माथुर के पक्ष में भारत वर्ष के अनेक सूचनाधिकार कार्यकर्ता केन्द्रीय अधिकारियो, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ई-मेल तथा रजिस्ट्रड पत्र प्रेषित कर अपना विरोध दर्ज करा रहे है ।
“स्वर विद्रोह टाइम्स” लगातार इस प्रकरण में न्यूज़ कवर कर प्रसारित कर रहा है, इस सम्बन्ध में वरिष्ठ समाजसेवी सूचनाधिकार कार्यकर्ता कृष्ण कुमार गुप्ता महाराजगंज से हुई वार्ता में उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर ध्यान नहीं दिया तो आमजनता का विश्वास कर्तव्यहीन अधिकारियो की वजह से RTI एक्ट से समाप्त जाएगा, RTI Act की धारा – 6(2) के तहत सूचना मांगने के लिए कारण बताना या व्यक्तिगत जानकारी देना आवश्यक नहीं है परन्तु नीरज माथुर बनाम आर्यावर्त बैंक प्रकरण में किसी भी नियम कानून का पालन नहीं किया गया हैं, मैने सरकार को आज इस विधि विरुद्ध कार्य के खिलाफ ई-मेल और स्पीड पोस्ट से पत्र भेज कर अपना विरोध दर्ज करा दिया है ।
“स्वर विद्रोह टाइम्स” ने इस सम्बन्ध में समाजसेवी तथा सूचनाधिकार कार्यकर्ता राहुल कुमार नंदवंशी से वार्ता की तो उन्होने बताया कि उन्होंने ई-मेल भेज कर अपना विरोध दर्ज कराया है उन्होंने यह भी बताया कि भारत के अनेक राज्यों, जिलों से सूचनाधिकार कार्यकर्ता कार्यवाही की मांग को लेकर सरकार को ई-मेल भेज कर अपना विरोध दर्ज करा रहे है, तकरीबन 2500 से ज्यादा ई-मेल केंद्रीय सरकार के संस्थानों में पहुंच चुके हैं, सूचनाधिकार कानून का उल्लंघन करने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही किया जाना न्यायसंगत है ।