तहसीलदार नौतनवा ने की न्यायिक अवमानना ! “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण सरंक्षण संगठन” लेगा हाई कोर्ट की शरण !
उत्तर प्रदेश : महाराजगंज
27 जुलाई 2022 : सूत्रों के मुताबिक महाराजगंज जिले कि तहसील नौतनवां में कार्यरत कानूनगो जैनुद्दीन ने अपनी आय से अधिक चल – अचल सम्पत्ति अर्जित की है और इस अर्जित चल – अचल सम्पत्ति की कोई घोषणा नहीं की है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली – 1956 के नियम – 24 उपनियम – (3) (4) के तहत उक्त कानूनगो जैनुद्दीन को अपनी प्रथम नियुक्ति के समय और तदुपरांत हर 5 वर्ष की अवधि बीतने पर ऐसी सभी चल-अचल सम्पत्ति की घोषणा करनी चाहिए थी, जिसे उन्होंने खुद अर्जित किया हो या जो उन्हें उपहार में प्राप्त हुई हो ।
इस कथित अनियमितता की जानकारी “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण सरंक्षण संगठन” की संस्थापक सुश्री आस्था माथुर जी को जब हुई तो उन्होंने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने तथा सरकार के शासनदेशो का उल्लंघन रोकने के लिए एक जनसूचना आवेदन पत्र तहसीलदार नौतनवां को भेजा, किन्तु तहसीलदार नौतनवा के कार्यालय में भी गोपनीयता का अभाव हैं, उनके कार्यालय से सुश्री आस्था माथुर जी की भेजी गई RTI के कागजात लीक / सार्वजनिक हो गए ।
RTI की कॉपी तहसीलदार नौतनवा के कार्यालय से प्राप्त होते ही कानूनगो जैनुद्दीन कि पुत्री मरियम ने सुश्री आस्था माथुर जी के कार्यालय नंबर पर धमकिया और व्हाट्सप करना शुरू किया ।
“स्वर विद्रोह टाइम्स” ने जब इस बारे में सुश्री आस्था माथुर जी से वार्ता की तो उन्होंने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय, भारत एवं माननीय उच्च न्यायालय कोलकत्ता में दायर रिट याचिका संख्या – WP33290 (W) of 2013 श्री अविषेक गोयनका वनाम यूनियन ऑफ इंडिया में पारित निर्णय दिनांक – 20.11.2013 का जनसूचना आवेदकों के सम्बन्ध में दी गई व्यवस्था का पालन उनके प्रश्नगत RTI में नहीं किया गया, साथ ही शासनादेश संख्या – (महत्वपूर्ण) मुoसo10/43/-2-2014 लखनऊ दिनांक – 17 फरवरी 2014 जो श्रीमान मुख्य सचिव महोदय उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किया गया है, का भी पालन नहीं किया गया है ।
उपरोक्त संदर्भित न्यायिक आदेश व शासनादेश में यह कहा गया की – जिस व्यक्ति विशेष से सम्बंधित जनसूचना आवेदन किया गया, उसे जनसूचना आवेदक के नाम, पते की जानकारी अथवा व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जाएगी / साझा नहीं की जाएगी ।
परन्तु तहसीलदार कार्यालय नौतनवा ने मेरा पूर्ण विवरण कानूनगो श्री जैनुद्दीन को उपलब्ध कराया गया, यह कार्य माननीय उच्चतम न्यायालय और कोलकत्ता उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेशों का पालन न कर स्पष्ट रूप से न्यायिक अवमानना की गई है, और उपरोक्त वर्णित शासनादेश का उल्लंघन किया गया है ।
“राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण सरंक्षण संगठन” एक जागरूक, निर्भीक, निष्पक्ष संस्था है जो किसी भी तरह की सरकारी अनियमितता, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अलख जगाता है ।
इस सम्बन्ध में शिकायत दर्ज कराई गई है सुश्री आस्था माथुर जी की तरफ से ।
“स्वर विद्रोह टाइम्स” ने जब इस न्यायिक अवमानना और तहसील कार्यालय में हो रही अनियमितता के सम्बन्ध में वार्ता करनी चाही तो उनका फोन नहीं उठा ।
अब देखना यह हैं कि सुश्री आस्था माथुर जी को अपनी RTI पर कानूनगो जैनुद्दीन की सूचनाएं प्राप्त होगी या तहसीलदार इनका बचाव करते हुए खुद न्यायिक अवमानना का सामना करेंगे फिलहाल यह बात अभी भविष्य पर छोड़ते है ।