Vi मिनी स्टोर के संचालक विरुद्ध कानून की शरण ले, किया 05 लाख का दावा !
उत्तराखण्ड : काशीपुर
31 मई 2022 : Vi कम्पनी के काशीपुर मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises के विरुद्ध “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण संरक्षण संगठन” की संस्थापक सुश्री आस्था माथुर जी ने 05 लाख रूपए हर्जाना वसूलने के लिए शुरू की क़ानूनी लड़ाई ।
बताते चले कि Vi कम्पनी के काशीपुर मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises ने टोल फ्री नम्बर – 1800 121 3843 को चालू करने के लिए समस्त कागजी औपचारिकताए पूर्ण कराकर 500 रूपए का शुल्क “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण संरक्षण संगठन” की संस्थापक सुश्री आस्था माथुर जी से प्राप्त किया था, परन्तु शुल्क प्राप्त करने के उपरांत भी टोल फ्री नम्बर काफी लम्बे समय तक चालू नहीं किया और टोल फ्री नम्बर चालू करने को टाल-मटोल करते रहे, जिससे क्षुब्ध होकर “राष्ट्रीय सूचनाधिकार, मानवाधिकार एवं पर्यावरण संरक्षण संगठन” की संस्थापक सुश्री आस्था माथुर जी ने कानून की शरण ले Vi मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises के संचालक योगेश चन्द्र जोशी के विरुद्ध कानूनी उपचार की प्रक्रिया प्रारम्भ की ।
सुश्री आस्था माथुर जी ने बताया कि उन्होंने इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार, उत्तराखण्ड शासन तथा ऊधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है ।
प्रकरण काफी चर्चा में है तथा अनेक RTI एक्टिविस्ट तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने देशभर से Vi मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises के संचालक योगेश चन्द्र जोशी की आलोचना कर, योगेश चन्द्र जोशी के विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की मांग करते हुए पुलिस कप्तान ऊधम सिंह नगर को फ़ोन, व्हाट्सअप और ई-मेल किये है, इस सम्बन्ध में जब Vi मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises के संचालक योगेश चन्द्र जोशी, Vi मिनी स्टोर Maa Bhagwati Enterprises के कर्मचारी तथा Vi मैनेजर से बात कर प्रकरण जानना चाहा तो उन्होंने फ़ोन रिसीव नहीं किया ।
प्रकरण काफी हाई प्रोफाइल हैं, प्रकरण में प्रधानमन्त्री कार्यालय तथा कैबिनेट सेक्रेटरी ने कल रात्रि में ही आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं ।
अब देखना हैं कि Vi मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी इस प्रकरण में क्या रुख अपनाती है और क्या कार्यवाई करती हैं, वही सुश्री आस्था माथुर जी का कहना हैं कि अगर उनकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई तो वह माननीय में परिवाद 156(3) दाखिल कर दोषियों को माननीय न्यायालय से दण्डित कराएंगी ।